FASTag Update – अगर आप सड़क यात्रा करते हैं और FASTag का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत अहम है। भारत में अब टोल वसूली की तकनीक एक और कदम आगे बढ़ाने जा रही है। सरकार ने फैसला लिया है कि 31 मई से पूरे देश में GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू किया जाएगा। यानी FASTag की व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म की जाएगी और हर वाहन में GPS डिवाइस के ज़रिए टोल लिया जाएगा।
FASTag की अब विदाई तय
FASTag अभी तक देशभर के टोल प्लाज़ा पर इस्तेमाल हो रहा था। यह सिस्टम रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन यानी RFID टेक्नोलॉजी पर आधारित था। इससे वाहन बिना रुके टोल पार कर सकते थे और शुल्क सीधे FASTag खाते से कटता था। लेकिन कई बार स्कैनिंग की दिक्कत या नेटवर्क फेल होने से गाड़ियाँ रुकती थीं और कतारें लगती थीं।
अब GPS तकनीक के आने से यह समस्या लगभग खत्म हो जाएगी। सरकार का उद्देश्य टोल सिस्टम को पूरी तरह कैशलेस, कॉन्टैक्टलेस और फुली ऑटोमैटिक बनाना है।
क्या है GPS आधारित टोल सिस्टम
GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम एक सैटेलाइट आधारित तकनीक है। इस सिस्टम में वाहन के अंदर एक GPS ट्रैकर लगाया जाएगा। जब कोई वाहन किसी टोल मार्ग पर चलेगा तो उसका लोकेशन और दूरी GPS के जरिए ट्रैक किया जाएगा। उस हिसाब से ही टोल शुल्क लिया जाएगा।
मतलब अब टोल प्लाज़ा की जरूरत नहीं होगी। जैसे ही आप टोल रूट पर प्रवेश करेंगे, सिस्टम खुद आपकी दूरी और लोकेशन ट्रैक करेगा और तय रेट के हिसाब से आपके अकाउंट से पैसे काट लेगा।
GPS सिस्टम के आने से क्या होंगे फायदे
- पूरी पारदर्शिता
अब टोल में कोई हेराफेरी नहीं हो पाएगी क्योंकि सब कुछ सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम से ऑटोमैटिक होगा। - टाइम की बचत
टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। सीधा निकल जाइए और टोल अपने आप कट जाएगा। - कम खर्च ज्यादा राहत
कई बार लोग कम दूरी पर भी पूरे टोल का भुगतान करते हैं। लेकिन GPS सिस्टम से सिर्फ उतनी ही दूरी का पैसा कटेगा जितनी दूरी आपने तय की है। - प्रदूषण में कमी
टोल बूथ पर रुकने से गाड़ियों का इंजन चालू रहता है और धुआं निकलता है। नए सिस्टम से यह बंद होगा और वायु प्रदूषण में थोड़ी राहत मिलेगी। - सुरक्षा और निगरानी
GPS ट्रैकर से सरकार को हर वाहन की स्थिति पता चलेगी जिससे चोरी या अपराध जैसी घटनाओं को ट्रैक किया जा सकेगा।
कैसे लगेगा यह नया सिस्टम
सरकार की योजना है कि सभी कमर्शियल और निजी वाहनों में GPS डिवाइस इंस्टॉल किया जाए। यह काम चरणबद्ध तरीके से होगा। शुरुआत में नेशनल हाइवे पर चलने वाली गाड़ियों पर यह अनिवार्य होगा और बाद में सभी वाहनों में यह सिस्टम लागू होगा।
यदि आपके वाहन में पहले से GPS सिस्टम है तो संभव है कि उसी से काम चल जाए। लेकिन जिनके पास यह नहीं है उन्हें RTO या अधिकृत सर्विस सेंटर से GPS डिवाइस लगवाना पड़ेगा।
कौनसी जानकारी GPS से ट्रैक होगी
वाहन की लोकेशन
गाड़ी की स्पीड
यात्रा की दूरी
कब टोल मार्ग पर प्रवेश किया और कब निकले
कितना शुल्क बनता है
यह सारी जानकारी सेंट्रल सर्वर पर रिकॉर्ड होगी और उसी आधार पर शुल्क काटा जाएगा।
कौनसे वाहन मालिक होंगे फायदे में
लंबी दूरी के ट्रक और बस चालक
शहरों के बीच नियमित सफर करने वाले लोग
कैब सर्विस देने वाले ड्राइवर
लॉजिस्टिक कंपनियाँ और बड़े ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर
कुछ रियल लाइफ उदाहरण
रमेश एक ट्रक ड्राइवर हैं जो हर हफ्ते दिल्ली से मुंबई जाते हैं। उन्हें हर रास्ते में कई टोल प्लाजा से गुजरना पड़ता है और कई बार कतारों में घंटों लग जाते हैं। GPS सिस्टम से वह सीधा सफर कर सकेंगे और एक भी जगह नहीं रुकना पड़ेगा। इससे उनका समय बचेगा और डीज़ल की भी बचत होगी।
सुमन दिल्ली में एक IT कंपनी में काम करती हैं और रोज ऑफिस जाने में टोल रोड से गुजरती हैं। FASTag स्कैन न होने की वजह से कई बार उन्हें इंतज़ार करना पड़ता है। GPS आधारित टोल से उन्हें यह परेशानी नहीं होगी और सफर स्मूथ हो जाएगा।
भारत में GPS आधारित टोल वसूली प्रणाली एक नई तकनीकी क्रांति की शुरुआत है। यह सिस्टम FASTag से भी एक कदम आगे है और आने वाले समय में टोल टैक्स की दुनिया को पूरी तरह बदल कर रख देगा। इससे समय बचेगा, पारदर्शिता आएगी और सफर पहले से ज्यादा आरामदायक होगा।
अगर आप भी सड़क पर सफर करते हैं तो 31 मई से पहले अपने वाहन में GPS सिस्टम लगवा लें ताकि आपको किसी तरह की परेशानी ना हो। यह बदलाव भारत को स्मार्ट ट्रांसपोर्ट की दिशा में एक मजबूत कदम देने वाला है।