EPS Pension Hike – अगर आप भी प्राइवेट नौकरी करते हैं और रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को लेकर सोचते हैं, तो ये खबर आपके लिए राहत की सांस जैसी है। केंद्र सरकार जल्द ही EPS यानी कर्मचारी पेंशन योजना के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को ₹1,000 से बढ़ाकर ₹3,000 प्रति माह करने की तैयारी कर रही है। यह बदलाव लाखों पेंशनर्स की जिंदगी में बड़ा सुधार ला सकता है, खासकर उन बुजुर्गों के लिए जिनकी गुजर-बसर इसी सीमित राशि पर निर्भर है।
EPS क्या है और इसका पैसा कहां से आता है?
EPS यानी Employees’ Pension Scheme, EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) द्वारा संचालित की जाती है। यह योजना खास तौर पर उन कर्मचारियों के लिए है जो प्राइवेट कंपनियों में काम करते हैं। इसमें रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को मासिक पेंशन दी जाती है। इसके लिए हर महीने नियोक्ता (कंपनी) की ओर से कर्मचारी के EPF कंट्रीब्यूशन का 8.33% हिस्सा EPS में चला जाता है।
कुल 12% EPF योगदान में से
- 8.33% EPS (पेंशन योजना)
- 3.67% EPF (प्रोविडेंट फंड) में जाता है।
यह योजना उन लोगों के लिए जीवन रेखा जैसी है जिनके पास नौकरी के बाद नियमित कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं होता।
सरकार क्यों कर रही है ये बदलाव?
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक, न्यूनतम पेंशन को ₹3,000 करने का प्रस्ताव काफी समय से लटका हुआ था। महंगाई लगातार बढ़ रही है और बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा को लेकर चिंता भी। ऐसे में अब सरकार गंभीरता से इस प्रस्ताव पर काम कर रही है। बताया जा रहा है कि अगले कुछ महीनों में इसे लागू किया जा सकता है।
2020 में भी सरकार ने ₹2,000 न्यूनतम पेंशन का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा था, लेकिन तब मंजूरी नहीं मिल पाई थी। अब 2025 के बजट से पहले इस मुद्दे को प्राथमिकता देने की तैयारी चल रही है।
वर्तमान स्थिति कितनी खराब है?
आपको जानकर हैरानी होगी कि फिलहाल EPS के तहत 78.5 लाख पेंशनभोगी हैं, जिनमें से लगभग 36.6 लाख लोगों को सिर्फ ₹1,000 प्रति माह की पेंशन मिल रही है। अब सोचिए कि आज के दौर में ₹1,000 में महीने भर का खर्च कैसे चल सकता है?
पेंशन को लेकर क्या मांगें उठ रहीं?
EPS रिटायर कर्मचारियों के संगठन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर न्यूनतम पेंशन ₹7,500 तक करने की मांग भी की थी। हालांकि उन्हें इस पर कोई आश्वासन नहीं मिला। लेकिन सरकार ने ₹3,000 तक बढ़ाने की दिशा में जरूर कदम बढ़ा दिए हैं।
वित्तीय बोझ और सरकार की प्लानिंग
सरकार EPS पेंशन में इस बढ़ोतरी से पड़ने वाले वित्तीय प्रभाव का आंकलन कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने न्यूनतम पेंशन ₹1,000 सुनिश्चित करने के लिए ₹1,223 करोड़ खर्च किए थे, जो FY23 की तुलना में 26% ज्यादा है। यह रकम लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार इसे सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेदारी मानते हुए आगे बढ़ रही है।
संसद समिति और विशेषज्ञों की राय
भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने भी श्रम मंत्रालय से EPS की न्यूनतम पेंशन तुरंत बढ़ाने की सिफारिश की है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम बेहद जरूरी है।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर अखिल चांदना के मुताबिक, “न्यूनतम पेंशन बढ़ाने से निम्न-आय वर्ग के बुजुर्गों को सीधा फायदा मिलेगा और वे सम्मानजनक जीवन जी सकेंगे।”
महंगाई और पेंशन का गणित
बीजेपी से जुड़े अर्थशास्त्री संदीप वेम्पाटी ने बताया कि मार्च 2014 से मार्च 2025 तक खुदरा महंगाई दर (CPI) में करीब 72% की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में ₹1,000 की पेंशन अब बेहद नाकाफी हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) भी कई बार कह चुका है कि पेंशन को महंगाई दर से जोड़ा जाना चाहिए।
जनता की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी
अगर ये प्रस्ताव पास होता है तो लाखों EPS पेंशनर्स को राहत मिलेगी। यह कदम न सिर्फ सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत जैसे विकासशील देश में बुजुर्गों के सम्मानजनक जीवन की दिशा में भी एक मजबूत पहल होगी।
क्या आगे और बढ़ेगी पेंशन?
हालांकि ₹3,000 की बात हो रही है, लेकिन यह भी मांग उठ रही है कि पेंशन को हर साल महंगाई दर के साथ जोड़ा जाए, ताकि समय के साथ इसका मूल्य भी बना रहे। सरकार इस विकल्प पर भी विचार कर सकती है।
सरकार की इस योजना से लाखों प्राइवेट कर्मचारियों को सीधा लाभ होगा। खासतौर पर वे लोग जो पूरी जिंदगी कम वेतन पर काम करके रिटायर हुए हैं और आज किसी तरह जीवन चला रहे हैं। अगर न्यूनतम पेंशन ₹3,000 होती है, तो ये उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।
अब नजरें बजट 2025 और आने वाले महीनों पर टिकी हैं कि सरकार कब इस फैसले को अमलीजामा पहनाती है।