8th Pay Commission News – अगर आप एक सरकारी कर्मचारी हैं और 8वें वेतन आयोग की राह देख रहे थे, तो ये खबर आपके लिए थोड़ी निराशाजनक हो सकती है। सरकार की ओर से इशारा मिला है कि फिलहाल 2027 तक कोई नया वेतन आयोग लागू नहीं किया जाएगा। यानी आने वाले दो से तीन साल तक कर्मचारियों को उसी सैलरी स्ट्रक्चर में काम करना होगा, जिसमें वे अब तक कर रहे हैं।
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, और इसका असर आम कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा।
क्या होता है वेतन आयोग और इसकी जरूरत क्यों होती है
सरकारी कर्मचारियों की सैलरी को समय-समय पर रीव्यू और अपडेट करने के लिए केंद्र सरकार वेतन आयोग का गठन करती है। अब तक सात वेतन आयोग आ चुके हैं और हर आयोग ने देश के लाखों कर्मचारियों की आय में बदलाव लाया है।
आखिरी बार 7वां वेतन आयोग साल 2016 में लागू हुआ था। तब उम्मीद थी कि अगला यानी 8वां आयोग 2026 तक आएगा। लेकिन अब केंद्र सरकार का कहना है कि फिलहाल वेतन आयोग को लेकर कोई प्लान नहीं है। ऐसे में यह उम्मीद भी फिलहाल के लिए खत्म मानी जा रही है।
क्यों टल रहा है 8वां वेतन आयोग
सरकार की ओर से जो संकेत मिले हैं, उनके मुताबिक फिलहाल आर्थिक संसाधनों पर दबाव ज्यादा है। साथ ही, सरकार महंगाई भत्ते यानी डीए (DA) को ही सैलरी में बढ़ोतरी का एक जरिया मान रही है। इसके अलावा, एक ऑटोमैटिक पे रिविजन मॉडल लाने की बात भी हो रही है, जिससे भविष्य में नए आयोग की जरूरत ही न पड़े।
इसका असर आम कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा
जो लाखों कर्मचारी 2026-27 तक वेतन बढ़ने की आस लगाए बैठे थे, उन्हें अब और लंबा इंतजार करना पड़ेगा। सैलरी स्ट्रक्चर वही रहेगा, जो अभी है। सिर्फ डीए के ज़रिए हर छह महीने में हल्की बढ़ोतरी मिलती रहेगी। लेकिन इसमें न बेसिक सैलरी बढ़ेगी, न ग्रेड पे में कोई बदलाव आएगा।
इसका मतलब यह है कि आपके वेतन में जो असली बढ़ोतरी होती है, वह फिलहाल ठहर गई है।
क्या डीए अब नया वेतन आयोग बन गया है
सरकार फिलहाल महंगाई भत्ते को ही वेतन में बदलाव का रास्ता मान रही है। हर जनवरी और जुलाई में डीए में बढ़ोतरी होती है और उसी अनुपात में सैलरी थोड़ी बहुत बढ़ जाती है। लेकिन यह बढ़ोतरी बहुत सीमित होती है और इससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति में बहुत बड़ा फर्क नहीं आता।
कर्मचारी क्या कह रहे हैं
बिहार के पटना में काम करने वाले एक सरकारी कर्मचारी रमेश कहते हैं, “हम सोच रहे थे कि 8वां वेतन आयोग रिटायरमेंट से पहले जरूर आएगा, जिससे सैलरी थोड़ी बेहतर हो जाएगी। लेकिन अब लग रहा है कि वही पुरानी सैलरी में गुज़ारा करना पड़ेगा।”
इसी तरह लखनऊ की सीमा नाम की महिला कर्मचारी का कहना है, “डीए से तो बस किराना का खर्च ही निकल पाता है। बच्चों की पढ़ाई और बाकी ज़रूरी चीज़ें मैनेज करना बहुत मुश्किल हो जाता है।”
क्या सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प है
सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि हर साल ऑटोमैटिक सैलरी रिवीजन सिस्टम लागू किया जाए, जिसमें महंगाई दर के हिसाब से सैलरी में खुद-ब-खुद बदलाव होता रहे। इसके लिए एक नया सिस्टम बनाना पड़ेगा, जो अभी शुरुआती दौर में है।
कुछ संभावित विकल्पों में शामिल हैं:
- डीए आधारित वेतन संशोधन
- हर साल महंगाई के आधार पर स्वचालित वेतन सुधार
- पुराने वेतन आयोग मॉडल को बदलकर नया ढांचा बनाना
निजी क्षेत्र की तुलना
जहां प्राइवेट सेक्टर में हर साल परफॉर्मेंस के हिसाब से सैलरी रिवाइज होती है, वहीं सरकारी कर्मचारियों को जॉब सिक्योरिटी तो मिलती है लेकिन वेतन वृद्धि बहुत धीमी होती है। यही वजह है कि कई सरकारी कर्मचारी अब प्राइवेट सेक्टर जैसी सुविधा चाहते हैं।
आगे की राह क्या है
सरकार की योजना यही लगती है कि भविष्य में किसी स्थायी सिस्टम को लागू किया जाए, जिससे वेतन आयोग पर निर्भरता खत्म हो जाए। लेकिन जब तक ऐसा कोई सिस्टम नहीं बनता, तब तक कर्मचारियों को डीए और सालाना इन्क्रीमेंट से ही संतोष करना होगा।
क्या करना चाहिए अब
सरकारी कर्मचारियों को अब अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग खुद मजबूत करनी होगी। कुछ आसान उपाय हैं:
- म्यूचुअल फंड्स या एसआईपी में निवेश शुरू करें
- रिटायरमेंट और बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग सेविंग करें
- टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस जरूर लें
8वें वेतन आयोग का फिलहाल कोई संकेत नहीं है और 2027 तक इसका आना संभव नहीं दिखता। ऐसे में कर्मचारियों को खुद की योजना से ही आर्थिक सुरक्षा बनानी होगी। इस खबर से भले थोड़ी निराशा हो, लेकिन सही रणनीति से भविष्य को बेहतर बनाया जा सकता है।
क्या आप वेतन आयोग की जगह किसी नए सैलरी मॉडल को बेहतर मानते हैं?