Bank Accounts Rule – आजकल के डिजिटल जमाने में बैंक अकाउंट होना तो जैसे एक जरूरी चीज बन गया है। चाहे पैसे भेजने हों या किसी से मंगवाने हों, सब कुछ मोबाइल पर एक क्लिक में हो जाता है। सरकार ने जबसे जनधन योजना शुरू की है, बैंक अकाउंट खुलवाना और भी आसान हो गया है। कई लोग तो अब एक नहीं बल्कि दो-तीन अकाउंट रखते हैं। कोई बिजनेस के लिए, कोई पर्सनल काम के लिए, तो कोई सेफ्टी के लिहाज से। लेकिन क्या आपको पता है कि एक से ज्यादा बैंक खाते रखना कभी-कभी भारी भी पड़ सकता है?
अगर आपके पास भी एक से ज्यादा सेविंग अकाउंट हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि छोटी-छोटी गलतियों की वजह से आपको बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। चलिए आपको बताते हैं कि ज्यादा बैंक अकाउंट होने से क्या दिक्कतें हो सकती हैं और कैसे बचाव किया जा सकता है।
एक अकाउंट के फायदे और ज्यादा अकाउंट के नुकसान
अगर आपके पास सिर्फ एक सेविंग अकाउंट है तो आपका काम काफी आसान हो जाता है। आपको सिर्फ एक ही डेबिट कार्ड संभालना होता है, और उस पर लगने वाला एएमसी (Annual Maintenance Charges) भी एक ही बार देना पड़ता है। वहीं अगर आपके पास तीन-चार खाते हैं तो हर खाते के डेबिट कार्ड के लिए अलग-अलग चार्ज देना होगा। यानि जेब से ज्यादा पैसे जाने तय हैं।
इसके अलावा अगर आपने किसी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं रखा तो बैंक आपसे पेनल्टी वसूल सकता है। हर बैंक का मिनिमम बैलेंस अलग-अलग होता है, जैसे कुछ में 5000 रुपये तो कुछ में 10,000 रुपये तक। अब सोचिए, अगर आपके तीन-चार अकाउंट हैं और आप हर जगह मिनिमम बैलेंस नहीं रख पा रहे हैं तो कितना फाइन कटेगा।
RBI और बैंक अकाउंट से जुड़े जरूरी नियम
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और सभी बैंकों ने बैंक अकाउंट के संचालन को लेकर कई नियम बना रखे हैं। हर अकाउंट होल्डर को अपने खाते में तय सीमा का बैलेंस बनाए रखना होता है। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक आपसे हर महीने या तिमाही के हिसाब से पेनल्टी वसूलता है। कुछ बैंक मिनिमम बैलेंस न रखने पर ₹100 से लेकर ₹600 तक का जुर्माना लगा देते हैं। अब अगर तीन-चार खाते हैं तो नुकसान का अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।
सिबिल स्कोर पर भी पड़ेगा असर
अब सबसे बड़ी बात ये है कि अगर आप अपने बैंक अकाउंट्स में ठीक से बैलेंस नहीं रखते, तो उसका असर आपके क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल स्कोर (CIBIL Score) पर भी पड़ता है। बैंक अकाउंट में लगातार कम बैलेंस रहना या अकाउंट इनएक्टिव हो जाना, आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर निगेटिव असर डाल सकता है। जब भविष्य में आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करेंगे तो बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन आपका सिबिल स्कोर देखकर ही फैसला करेगा। अगर स्कोर खराब रहा तो लोन मिलने में दिक्कत आएगी या ब्याज दर ज्यादा लगेगी।
सर्विस चार्ज और अन्य खर्चे भी बढ़ते हैं
कई बैंक अपने ग्राहकों से SMS अलर्ट सर्विस का भी चार्ज लेते हैं। अगर आपके पास चार अकाउंट हैं तो चारों के SMS चार्ज अलग-अलग कटेंगे। इसके अलावा डेबिट कार्ड की वार्षिक फीस, चेकबुक फीस, नेटबैंकिंग फीस जैसी चीजों पर भी पैसे कट सकते हैं। यानी जितने ज्यादा अकाउंट, उतने ज्यादा खर्चे।
अगर आप सेविंग करना चाहते हैं तो बेहतर है कि अनावश्यक बैंक खातों को बंद कर दें और सिर्फ एक या दो ही चालू रखें।
क्यों रखें सीमित बैंक अकाउंट?
- एक ही अकाउंट में फोकस रहेगा, जिससे पैसों का मैनेजमेंट आसान होगा।
- एक डेबिट कार्ड से सारा काम चल जाएगा, फालतू चार्ज नहीं देना पड़ेगा।
- मिनिमम बैलेंस मेंटेन करना आसान होगा।
- सिबिल स्कोर अच्छा बना रहेगा।
- खर्चे कम होंगे और सेविंग ज्यादा होगी।
अगर ज्यादा अकाउंट रखने ही हैं तो क्या करें?
अगर किसी मजबूरी में आपके पास एक से ज्यादा अकाउंट हैं, तो इन बातों का खास ध्यान रखें:
- सभी अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस रखें।
- टाइम-टाइम पर अकाउंट को एक्टिव रखें, जैसे ट्रांजैक्शन करते रहें।
- बेवजह के डेबिट कार्ड या चेकबुक फीस से बचने के लिए सिर्फ जरूरी सर्विसेस ही एक्टिवेट करें।
- जो अकाउंट यूज नहीं कर रहे हैं, उन्हें बंद करा दें।
- बैंक स्टेटमेंट और SMS अलर्ट पर नजर रखें ताकि कोई अनजान चार्ज न कटे।
तो दोस्तों, देखा आपने कि एक से ज्यादा बैंक खाते रखना कितना नुकसानदायक हो सकता है अगर सही तरीके से उन्हें मैनेज न किया जाए। इसलिए अगर आप भी सोचते हैं कि “चलो हर बैंक में एक अकाउंट खुलवा लेते हैं”, तो थोड़ा रुकिए और दोबारा सोचिए। बेहतर फाइनेंशियल हेल्थ के लिए कम लेकिन एक्टिव अकाउंट्स रखना ज्यादा फायदेमंद है। हमेशा याद रखिए — पैसा कमाना जितना जरूरी है, उसे सही तरीके से संभालना भी उतना ही जरूरी है।